tag:blogger.com,1999:blog-8234335352219398549.post8125382954234853994..comments2023-10-10T02:40:42.354-07:00Comments on अपना दौर: शाह लेखक, चोर लेखक/बलराम अग्रवालबलराम अग्रवालhttp://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8234335352219398549.post-34092886958847280782011-07-04T10:31:21.370-07:002011-07-04T10:31:21.370-07:00काश ऐसे मूर्धन्य लेखक का नाम हमे भी पता लगताकाश ऐसे मूर्धन्य लेखक का नाम हमे भी पता लगताप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8234335352219398549.post-4119046318297346942011-05-28T08:31:46.207-07:002011-05-28T08:31:46.207-07:00मौलिकता और स्तर को लेकर चिन्तित होना तो अच्छी बा...मौलिकता और स्तर को लेकर चिन्तित होना तो अच्छी बात है, पर इस तरह नहीं। और ऐसे मित्रवरों से दूर ही रहना बेहतर। वैसे वे सब जगह हैं। अलग अलग रूपों में।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8234335352219398549.post-4803056163909938842011-05-27T07:12:32.684-07:002011-05-27T07:12:32.684-07:00उपन्यासकार रूपसिंह चन्देल ने निम्न टिप्पणी मेल द्व...उपन्यासकार रूपसिंह चन्देल ने निम्न टिप्पणी मेल द्वारा प्रेषित की है:<br />Roop Singh Chandel to me<br /> <br />show details 5:00 PM (2 hours ago)<br /> <br />भाई बलराम,<br /> <br />हंस के उन स्वनामधन्य लेखक का नाम भी बताना चाहिए था. बात इतनी लंबी लिखी, लेकिन नाम नहीं बताया. नाम नहीं तो उस लघुकथा का ही जिक्र कर दिया होता. ऎसे महान और आत्ममुग्ध लेखकों की कमी नहीं जो स्वयं दूसरॊं की थीम उधार लेकर या कहूं कि चोरी करके रचनाएं लिख रहे हैं और अपनी चोरी न पकड़ी जाए इसलिए दूसरों को चोर सिद्ध करने के अवसर नहीं खोना चाहते. उनकी निकृष्टता और धृष्टता को धिक्कार--.<br /> <br />रूप चन्देल<br />९८१०८३०९५७बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8234335352219398549.post-50016841777927512222011-05-27T01:46:40.141-07:002011-05-27T01:46:40.141-07:00भाई बलराम, क्यों तुम ऐसे कलमकार की बातों से परेशान...भाई बलराम, क्यों तुम ऐसे कलमकार की बातों से परेशान हो रहे हो… कुछ लोग अपने को सदैव कुछ ऊँचाई पर रखकर दूसरों से बात करते हैं… तुम अपनी रचनाओं की मौलिकता और उसके स्तर को लेकर ज्यादा चिंतित न हो, ऐसे लोग तो चाहते ही हैं ईर्ष्यावश, दूसरे के लेखन को अवरुद्ध करना… तुम बस लिखते रहो… और ऐसे लोगों की बातों को तरज़ीह न दो… हाँ, तुमने अपने ब्लॉग के माध्यम से अपने इस मित्र (?) की बातचीत शेयर की, अच्छा किया, दूसरे भी ऐसे मित्रों से सतर्क हो जाएंगे…सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.com