सोमवार, 25 अप्रैल 2011

खत्म हुई जद्दोजहद : स्वर्ग सिधार गये कालीचरण प्रेमी


कालीचरण प्रेमी : विभागीय संवेदनहीनता ने जिन्हें असमय ही मार डाला
भारतीय समाज का यह अजीबोगरीब सच है। कल, रविवार 24 अप्रैल, 2011 की सुबह 07बजकर 40मिनट पर कर्नाटक के पुट्टपर्णी में हर प्रकार से सेवित परमपूज्य सत्य साईं बाबा ने शरीर त्यागा और इधर, उनके ठीक 18 घंटे बाद, रात 01बजकर 40मिनट पर उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद में ब्लड कैंसर से पीड़ित डाक-कर्मी कालीचरण प्रेमी अपने विभाग से अनुमोदित होकर आने वाली मेडिकल सहायता राशि की फाइल का 33 दिनों तक इन्तजार करके अन्त्तत: स्वर्ग सिधार गये। गाजियाबाद में हिण्डन नदी के तटवर्ती मोक्षधाम श्मशान घाट में आज 25 अप्रैल, 2011 को सुबह लगभग 11बजे अग्नि को समर्पित उनका शरीर पंचतत्त्व में विलीन हो गया। उनकी अन्तिम यात्रा में नगर के अनेक डाक-कर्मियों के अलावा सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ॰ कुँअर बेचैन, वरिष्ठ उपन्यासकार राकेश भारती, व्यंग्यकार सुभाष चन्दर, कथा-सागर के संपादक सुरंजन, कथाकार ओमप्रकाश कश्यप, महेश सक्सेना, सुरेन्द्र अरोड़ा, सुरेन्द्र गुप्ता, बलराम अग्रवाल आदि अनेक लेखक व पत्रकार शामिल थे। रुड़की से अविराम के संपादक उमेश महादोषी, इन्दौर से उपन्यासकार नन्दलाल भारती व कथाकार सुरेश शर्मा, दिल्ली से लघुकथा डॉट कॉम के सम्पादक व वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर काम्बोज हिमांशु, नुक्कड़ व अनेक हिंदी ब्लॉग्स के सम्पादक अविनाश वाचस्पति, सेतु साहित्य के सम्पादक सुभाष नीरव व अनेक साहित्यकारों ने कालीचरण प्रेमी के देहांत पर शोक जताया है तथा अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए हैं। ईश्वर श्री कालीचरण प्रेमी की पवित्र आत्मा को शांति प्रदान करे व शोक-संतप्त परिवार को यह वज्रपात सहने की शक्ति प्रदान करे।

13 टिप्‍पणियां:

राजेश उत्‍साही ने कहा…

कुछ भी नहीं है कहने को।

NANDLAL BHARATI ने कहा…

Daak vibhag ki udasinata se Baaishri swarg sidhaare hai.Yah desh ke har karmchari ke liye chinta ka vishay hona chaihye,Sh.Kalicharan ki maut ke jimmedar daak-vibhag ke lhilaaf dharana pradarshan hona chahiye taaki is tarah ki maut kisi karmchari ko naa mile. Ise maut nahi hatya kahana uchit hoga kyonki daak vibhag ne samay rahate medical suvidha nahi pradaan kiya.Ham aam-aadami aur sahitya jagat ke liye kalicharan ki mauti bahut badi kshati hai..Bhagwan Sh.kalicharan premi ji ki aatma ko shanti de daak vibhaag sahit desh ke anya vibhago ko sadbudhi taaki kisi aur kalicharan ki htya vibhagiy udasinata ke karan na ho sake...

सुभाष नीरव ने कहा…

भाई बेहद दुखद समाचार है। हम सब जानते थे, आज नहीं तो कल यही होना है। वह बैड पर रह कर कई मोर्चों पर अकेले लड़ रहे थे। सरकारी तंत्र की असंवेदनशीलता और उपेक्षा का शिकार गरीब और ईमानदार ब्यक्ति ही बनता है। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे और उनके शोकाकुल परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए मैं यह कहने से स्‍वयं को नहीं रोक पा रहा हूं कि यह मृत्‍यु नहीं, सरकारी लापरवाही द्वारा की गई हत्‍या का मामला बनता है। वैसे यह तो सही है कि होनी को कोई नहीं टाल सकता परंतु हम लोग कब जीवन के मूल्‍यों को गहरे तक समझेंगे।

भारतेंदु मिश्र ने कहा…

कालीचरण प्रेमी जी से मेरी दो तीन ही मुलाकातें हुई थीं। एक बार तो वे राधाचरण विद्यार्थी जी के साथ मेरे आवास पर भी पधारे थे।सहकार संचय पत्रिका निकालते थे-दोनो मिलकर । कल ही तो बलराम जी से बात हो रही थी। उनकी बीमारी से हारने की..और आज ये सूचना बहुत दुखद है। बहुत निश्छल व्यक्ति थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिजनों को यह अपूरणीय कमी को सहने की शक्ति प्रदान करे।

बलराम अग्रवाल ने कहा…

Suresh Yadav
to me

show details 9:36 PM (1 hour ago)

कालीचरण प्रेमी जी के जीवन संघर्ष के विषय में कल देर रात तक मैं सुभाष नीरव के साथ बात करता रहा ..रात ग्यारह बजे मैं जब उठ कर आया तो एक बात जो नीरव जी ने बताई कि प्रेमी जी को बीमारी ने जितना मारा उनकी आर्थिक स्थिति ने उससे अधिक मारा .प्रेमी जी के निधन पर हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ .

बलराम अग्रवाल ने कहा…

Tejinder Sharma
to me

show details 8:30 PM (2 hours ago)


भाई बलराम जी



मुझे याद है कि भाई कालीचरण जी से एक मुलाक़ात ग़ाजियाबाद में हुई थी जब उन्होंने व्यंग्य विधा पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था। यह मेरे लंदन प्रस्थान से पहले की बात है। उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए

तेजन्द्र शर्मा

बलराम अग्रवाल ने कहा…

Fazal Imam Mallick
to me

show details 3:05 PM (7 hours ago)

प्रिय भाई
बहुत ही दुखद समाचार है. कालीचरण प्रेमी लघुकथा आन्दोलन के सशक्त हस्त्काचेर थे, आपके ही मेल से सुचना मिली बताया होता मैं भी आता. खैर मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के लिए.
फज़ल

बलराम अग्रवाल ने कहा…

jitendra jeetu
to me

show details 7:43 PM (3 hours ago)

HARDIK SAMVEDNAYEN!

बलराम अग्रवाल ने कहा…

PRAN SHARMA
to me

show details 3:12 PM (7 hours ago)

प्रिय बलराम जी ,
श्री कालीचरण प्रेमी के स्वर्ग सिधार जाने की मनहूस
खबर पढ़ कर मन शोक से भर गया है ." ज़मीं खा गयी आसमां
कैसे - कैसे " . उन्हें तो अभी बहुत कुछ कहना था और हमें सुनना
था -

बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना
तुम्ही सो गये दास्तां कहते - कहते

ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे .

प्राण शर्मा

बलराम अग्रवाल ने कहा…

PRAN SHARMA
to me

show details 3:12 PM (7 hours ago)

प्रिय बलराम जी ,
श्री कालीचरण प्रेमी के स्वर्ग सिधार जाने की मनहूस
खबर पढ़ कर मन शोक से भर गया है ." ज़मीं खा गयी आसमां
कैसे - कैसे " . उन्हें तो अभी बहुत कुछ कहना था और हमें सुनना
था -

बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना
तुम्ही सो गये दास्तां कहते - कहते

ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे .
प्राण शर्मा

सुनील गज्जाणी ने कहा…

प्रणाम ! बेहद अफ़सोस हुआ ये जानकर कि प्रेमी साब देव लोक गमन कर गए , मैं नुकड़ पे जब वो बीमार हुए थे तो उनके बाबत पोस्टिंग पढ़ी थी ,तब उनसे एक प्रकार से लगाव हो गया था इ, कामना कि इश्वर पेर्मी साब को शीघ्र स्वस्थ करे , क्यूँ कि जिस दिन वो हस्पताल में भरी हुए थे उसी दिन मेरे पूज्य पिता जी अपनी देह से मुक्त हो गए थे , आज य एपध वाकई अफ़सोस हुआ , मगर विधि का विधान है छह के भी कुच नहीं कर ससकता इंसान हम्मरे अपनों से हाम्र मोह नहीं भरता मगर लाचार हो जाते है इस अंतिम सत्य के सामने ! इश्वर परिवार जन को हौसला प्रदान करे , दिव्य आत्मा को शांति प्रदान करे !
ओम शांति शांति !

रूपसिंह चन्देल ने कहा…

प्रिय बलराम,

नेट की खराबी के कारण तुम्हारा मेल विलंब से पढ़ पाया. यह बहुत ही दुखद समाचार है. नीरव का कहना सही है. ब्यूरोक्रेसी की क्रूरता का शिकार कितने ही लोग हुए हैं. काली उनमें से एक हैं. गुलाम बादशाह तुमने पढ़ा और उसपर लिखा ही है. इस देश में केवल तीन वर्ग को ही जीने का अधिकार मिला हुआ है. नेता, पूंजीपति(उद्योगपति), और ब्य़ूरोक्रेट-- शेष लोग तो कीडे-मकोडे हैं. यदि कालीचरण प्रेमी के स्थान पर उनका कोई बड़ा अधिकारी होता तो ३३ दिन तक अटकी फाइल ३३ मिनट में क्लियर हो चुकी होती. उसकी sanction फोने पर ले ली जाती.

प्रेमी जी से मेरा परिचय १९८५ में तब हुआ था जब मैं किताबघर के लिए लघुकथा संकलन (प्रकारांतर) के लिए रचनाकारों से रचनाएं एकत्रित कर रहा था. उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि.


रूपसिंह चन्देल