बुधवार, 22 अगस्त 2012

श्रीकृष्ण : पूर्ण पटाक्षेप / बलराम अग्रवाल


श्रीमती कमला देवी
अभी, दस मिनट पहले की बात है। राजेन्द्र जैन जी मिल गये थेश्रीकृष्ण जी के दामाद हैं वे। पहले आँखों ही आँखों में अभिवादन किया, फिर स्कूटर रोककर बोले—“वो भी गईं।
मुझे समझने में देर नहीं लगी कि वह किनके बारे में मुझे बता रहे हैं। चौंककर पूछा,कब?
15 अगस्त को…सुबह साढ़े दस बजे।
सूरज पूरा अस्त हो गया… मेरे मुँह से निकला। यह कहते हुए श्रीमती कमला देवी(धर्मपत्नी श्री श्रीकृष्ण) के हवाले से लिखी मेरी एक टिप्पणी के जवाब में उनके प्रति कहे गए हिन्दी के भद्र(?) समझे जाने वाले एक लेखक के वे अभद्र शब्द भी मेरे जेहन में कड़ुआहट घोल गए जो उन्होंने सिर्फ़ इसलिए कहे थे कि श्रीमती श्रीकृष्ण (यानी श्रीमती कमला देवी) ने कभी उनका कृतघ्न चरित्र उन्हें दिखाने की पहल की थी और आत्ममुग्धताजनित अहंकार के चलते जिस कृतघ्नता को वे आज तक भी नहीं पहचान पाए। श्रीमती श्रीकृष्ण के चले जाने के बाद अपनी ही गाली को वे अब उम्रभर अपने सिर और कंधों पर ढोए फिरने को शापित हो गये हैं।
राजेन्द्र मेरे मन के झंझावात को नहीं जान सकते थे। मेरी बात सुनकर वे कुछ न कह सके, चुप खड़े रहे।
श्रीकृष्णजी को नैतिक सम्बल देते रहने वाली शक्ति भी आखिर चली गई। दु:खित स्वर में मैंने  आगे कहा।
हमारे लिए यह एक युग का अन्त है… वह भी शोकभरे स्वर में बोले।
निश्चित रूप से। मैंने उनकी भावना का समर्थन किया,वे कुशलतापूर्वक घर को न सँभाले रखतीं तो श्रीकृष्णजी अपना ध्यान उत्कृष्ट पुस्तक-उत्पादन में इस गहराई तक केन्द्रित न कर पाते।
इसके बाद कुछ पल हम चुप खड़े रहे, बोलने के लिए दोनों के ही पास जैसे कुछ विशेष न हो। फिर बड़ी मायूसी के साथ राजेन्द्र जी ने कहा,उन्हें दरअसल अपनों ने ही मारा।
उन्हें से उनका तात्पर्य श्रीकृष्ण दम्पति से था, अकेली श्रीमती कमला देवी से नहीं। मैं ‘उन्हें अपनों ने ही मारा में छिपा उनका इशारा भी समझ रहा था लेकिन क्या कहता। हर व्यक्ति का अपना-अपना पक्ष होता है। हमारे यानी अजय जी(मेधा बुक्स) और मेरे साथ अन्तिम मुलाकत में अपनों से संवादहीनता का हल्का-सा संकेत गहरी पीड़ा के साथ श्रीकृष्णजी ने भी किया था; लेकिन असलियत तो यह थी कि उन्हें अपनों ने भी मारा और ग़ैरों ने भी।
दोस्तो, गत 07 दिसम्बर 2011 को अपंजीकृत पराग प्रकाशन के सुप्रतिष्ठा-सम्पन्न संस्थापक तथा बालसाहित्यकार श्रीकृष्ण जी ने नश्वर देह को त्यागा था और गत 15 अगस्त, 2012 को उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कमला देवी भी संसार से विदा हो गईं।
शोक-संवेदना व्यक्त करने की इच्छा वाले महानुभावों को मैं उनकी दो पुत्रियों के नाम, पते और फोन नम्बर नीचे लिख रहा हूँ

1॰ Mrs. Nisha Gupta (daughter, Ph. 88oo184598)
Mr. Neeraj Gupta (Son-in-law, Ph. 98103389687)
            G-109, Sector 56,
Near Mother Dairy,
Janta Flats, Noida (UP)

2॰ Mrs. Seema Jain (daughter, Ph. 011-22321612)
Mr. Rajendra Jain (Son-in-law, Ph. 9310962206)
N-10, Gali No. 1, Uldhanpur,
Naveen Shahdara, Delhi-110032

ॐ शान्ति!!!

1 टिप्पणी:

सुभाष नीरव ने कहा…

मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !