शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

Hum dekhenge by Iqbal bano

1 टिप्पणी:

Ila ने कहा…

आदरणीय बलराम जी,
यह गजल बार बार सुन रही हूँ। बेहद प्रभाव शाली गजल है। अच्छा हुआ जो आपने इसे यहाँ उपलब्ध करा दिया।
सादर
इला