दोस्तो, अनेक बार महसूस होता है कि सैकड़ों अच्छे कामों के बीच एक गलत काम की ओर इंगित करना ‘सठिया’ जाने से अधिक कुछ नहीं है। ‘बीमारी’ को किसी ने अगर ‘बिमारि’ या ‘बिमारी’ लिख दिया तो कौन-सा पहाड़ टूट पड़ा! लेकिन दिल है कि…। दरअसल, वर्तनी की गलतियाँ अगर चालीस-पचास हजार रुपए प्रतिमाह हिन्दी के नाम पर ही घर ले जाने वाली कलमों के नीचे से निकल रही हों तो अफसोस बहुत बढ़ जाता है। ‘हिन्दी’ के नाम पर सरकारी, अर्द्ध-सरकारी कार्यालयों में कार्यरत हिन्दीप्रेमी नौकरशाहों के झंडेतले सम्पन्न होने वाले ‘हिन्दी सप्ताह’ और ‘हिन्दी पखवाड़ों’ के समापनस्वरूप ‘हिन्दी विरुदावली’ से लेकर ‘विदूषक’स्तर के कवि-सम्मेलनों, कविता एवं निबंध प्रतियोगिताओं के माध्यम से हिन्दी के उन्नयन हेतु प्राप्त होने वाले अनुदान आदि की बंदर-बाँट का माह ‘सितम्बर’ शुरू हो चुका है।
कुतुब मीनार परिसर में स्थित यह पत्थर कितने वर्षों से यहाँ जड़ा है इसका अनुमान लगाने की आवश्यकता नहीं है। बेहद प्रसन्नता की बात यह है कि इसे देवनागरी में लिखने की सदाशयता तत्कालीन अधिकारियों में थी। परन्तु, देखने की बात यह है कि अन्तर्राष्ट्रीय नक्शे पर चिह्नित इस परिसर में इस पत्थर पर खुदे हिन्दी के अनेक शब्द सम्बन्धित हिन्दी-अधिकारियों के मुँह पर इसके लिखे जाने से लेकर अब तक लगातार कालिख-सी पोत रहे हैं। आगामी माह अर्थात् अक्टूबर में राष्ट्रमंडल खेल प्रारम्भ होने जा रहे हैं। उनमें भाग लेने वाले खिलाड़ी और प्रतिनिधि-मंडल के सदस्य आदि कम-से-कम राष्ट्रमंडल देशों के कितने ही भद्रजन इस परिसर में घूमने आयेंगे। तब, गलत हिन्दी वर्तनी जैसी अपनी ही भाषा के प्रति हमारी ऐसी लापरवाहियाँ उनके मन पर क्या प्रभाव डालेंगी? जरा सोचिए।
इसमें ‘हिन्दू शिल्प’ शब्द से क्या तात्पर्य है? क्या यह ‘भारतीय शिल्प’ से अलग कोई शिल्प है? कृपया बताएँ।
* जयशंकर ‘प्रसाद’ की एक लघुकथा का शीर्षक
4 टिप्पणियां:
विचारणीय पोस्ट । क्या इसके लिये इतने वर्षों तक किसी ने भी सरकार को इसके बारे मे नही बताया?
लेकिन अब तो ये आम बात हो गयी है । टी वी चैनल रोज़ ही ऐसी गल्तियां कर रहे हैं। किसी जगह देख लो अखबार या पोस्टर। धन्यवाद इस जानकारी के लिये।
सच मे सोचने योग्य ।
कृष्ण प्रेम मयी राधा
राधा प्रेममयो हरी
♫ फ़लक पे झूम रही साँवली घटायें हैं
रंग मेरे गोविन्द का चुरा लाई हैं
रश्मियाँ श्याम के कुण्डल से जब निकलती हैं
गोया आकाश मे बिजलियाँ चमकती हैं
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
Mahesh Darpan
to me
show details 12:13 PM (9 hours ago)
बात तो एकदम सही है. लेकिन बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन?
निर्मल कपिला जी, वन्दना जी व भाई महेश दर्पण--टिप्पणी के लिए धन्यवाद।
पत्थर की पुकार
पत्थरों हुई सरकार से
असर कैसे होगा
बलराम भाई
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