चित्र:आदित्य अग्रवाल |
दोस्तो, बैठे-बैठे एक चर्चा ऐसी कर ली जाय जिसे ‘खाली दिमाग शैतान का घर’ भी कह सकते
हैं। उर्दू में ‘बेवा’ शब्द विधवा स्त्री के लिए प्रयुक्त होता है।
मुझे इस शब्द में अभिव्यक्ति लाघव नजर आता है। वह यों कि उर्दू में पत्नी के लिए ‘बीवी’ और सम्मानित अन्य महिलाओं के लिए ‘बी’
अथवा ‘बीबी’ शब्द का प्रयोग होता है। मुस्लिम समाज के
विद्वान वैयाकरणों और सहृदय शब्दपुरोधाओं ने उस स्त्री के लिए, जो पति की मृत्यु के बाद ‘बीवी’ कहलाने की हक़दार नहीं रहती, अन्य महिलाओं जैसा सम्मानजनक सम्बोधन देने पर
विचार किया होगा। निश्चित रूप से अलग-अलग मत सामने आये होंगे जिनमें उसे पुन: ‘बी’ सम्बोधन देने जैसा प्रस्ताव भी अवश्य आया होगा। तब विरोध का स्वर
इस रूप में उभरा होगा कि अन्य स्त्रियों से इस स्त्री की वैवाहिक स्थिति के अलगाव
का कैसे पता चलेगा? तय हुआ होगा कि इस अलगाव को बनाए रखने के लिए उस स्त्री (बीवी) के ‘वाउ’ को ‘बे-वाउ’ कर सम्बोधित किया जाये तो कोई दुविधा नहीं रहेगी। इसलिए ऐसी स्त्री के लिए ‘बी—बे-वाउ’ शब्द तय हुआ लेकिन सम्बोधित करने में यह किंचित असुविधाजनक-सा था। अभिव्यक्ति लाघव के कारण इस शब्द में से पहले 'बी' खत्म होकर 'बेवाउ' सामने आया जो आगे चलकर 'बेवा' रह गया। बुजुर्गों ने तो इज्ज़त देने
की भरपूर कोशिश की थी, शॉर्टकट की स्वाभाविक मानवीय आदत को क्या कहें!
1 टिप्पणी:
तुम्हारे चिन्तन की प्रखरता लाजवाब है. अब यह कोई भाषा वैज्ञानिक ही बता सकता है---फिर भी तुमने इस विषय पर गहनता से विचार किया जो प्रशंसनीय है.
चन्देल
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