दोस्तो, http://news.indiaagainstcorruption.org/annahazaresays लिंक पर अन्ना हजारे के नाम से एक लम्बा लेख प्रकाशित हुआ है। यहाँ प्रस्तुत हैं उस लेख के कुछ अंश:
इस इंतज़ार में, कि यह मोमबत्ती कब पूरी हो और इन उँगलियों को जलाने लगे आप भी हैं? फोटो:बलराम अग्रवाल |
………मैंने
संसद में अच्छा उम्मीदवार भेजने का विकल्प देने की बात करते ही कई लोगों
ने घोषणा की कि अन्ना ज़ीरो बन गए। मैं तो पहले से ही ज़ीरो हूं, मंदिर में
रहता हूं, न धन न दौलत, न कोई पद, अभी भी ज़मीन पर बैठकर सादी सब्जी-रोटी
खाता हूं। पहले से ही ज़ीरो हूँ और आखिर तक ज़ीरो रहूँगा। जो पहले से ज़ीरो
है उसको ज़ीरो क्या बनाएगे? जिसको कहना है वो कहता रहे मुझे कोई फर्क नहीं
पड़ता। आजतक 25 साल में मेरी बदनामी करने के लिए कम से कम 5 किताबें लिखी
गई। कई अखबार वालों ने बदनामी के लिए अग्रलेख (संपादकीय) लिखे है। लेकिन
फक़ीर आदमी की फक़ीरी कम नहीं हुई। इस फक़ीरी का आंनद कितना होता है? यह
बदनामी करने वाले लोगों को फक़ीर बनना पड़ेगा तक समझ में आएगा। एक बात
अच्छी हुई की जितनी मेरी निंदा हुई। उतनी ही जनता और देश की सेवा करने की
शक्ति बढ़ी। आज 75 साल की उम्र में भी उतना ही उत्साह है। जितना 35 साल
पहले काम करते वक्त था। देश का भ्रष्टाचार कम करने के लिए जनलोकपाल कानून
बनवाने के लिए कई बार आंदोलन हुए। 4 बार अनशन हुए। लेकिन सरकार मानने के
लिए तैयार नहीं इसलिए टीम ने निर्णय लिया अनशन रोककर विकल्प देना पड़ेगा।
सरकार से जनलोकपाल की मांग का आंदोलन रुक गया लेकिन आंदोलन समाप्त
नहीं हुआ है। पहले सरकार से जनलोकपाल कानून की मांग करते रहे। सरकार नहीं
करती इसलिए जनता से ही अच्छे लोग चुनकर संसद में भेजना और जनलोकपाल बनाने
का आंदोलन शुरू करने का निर्णय हो गया। अगर जनता ने पीछे डेढ साल से साथ
दिया, वह कायम रहा तो जनता के चुने हुए चरित्रशील लोग संसद में भेजेगे। और
जनलोकपाल, राइट टू रिजेक्ट, ग्रामसभा को अधिकार, राइट टू रिकॉल जैसे कानून
बनवाएंगे। और आने वाले 5 साल में भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण पक्ष और
पार्टी से नहीं जन सहभाग से करेंगे। 2014 का चुनाव भ्रष्टाचार मुक्त देश
बनाने के लिए जनता के लिए आखिरी मौका है। इस चुनाव के बाद फिर से ऐसा मौका
मिलना मुश्किल है। कारण, इस वक्त देश जाग गया है। अभी नहीं तो कभी नहीं।
मैंने बार-बार बताया है कि मेरा जीवन समाज और देश सेवा में अर्पण किया है।
इस वक्त जनता का साथ नहीं मिला तो नुकसान अन्ना का नहीं जनता का होगा।
अन्ना तो एक फक़ीर है और मरते दम तक वो फक़ीर ही रहेगा। मैंने अच्छे लोग
चुनकर संसद में भेजने का विकल्प दिया है। लेकिन मैं पक्ष-पार्टी में शामिल
नहीं होऊंगा। चुनाव भी नहीं लडूंगा। जनता को जनलोकपाल का कानून देकर मैं
महाराष्ट्र में अपने कार्य में फिर से लगूंगा। पार्टी निकालने वाले लोगों
को भी मैंने बताया है। पार्टी बनाने के बाद भी यह आंदोलन ही रहे। पहले
आंदोलन में सरकार से जनलोकपाल कानून मांग रहे थे। अब आंदोलन जारी रखते हुए
जनता के सहयोग से अच्छे लोगों को चुनाव में खड़ा करके संसद में भेजो और
कानून बनाओ। दिल और दिमाग में सत्ता न रहे, राज कारण न रहे, यह देश की
देशवासियों की सेवा समझकर करो। अगर सत्ता और पैसा दिमाग में आ गया तो दुसरी
पक्ष-पार्टी और अपनी पार्टी में कोई फर्क नहीं रहेगा। जिस दिन मुझे दिखाई
देगा कि देश की समाज की सेवा दूर गई और सिर्फ सत्ता और पैसा का प्रयास हो
रहा है। उसी दिन मैं रुक जाऊंगा। आगे नहीं बढूंगा। क्योंकि मैंने समाज और
देश की भलाई के लिए विकल्प देने का सोचा है। मेरा जीवन उन्हीं की भलाई के
लिए है।
आज टीम अन्ना का कार्य हम लोगों ने समाप्त किया है। जनलोकपाल के कार्य
के लिए टीम अन्ना बनाई गई थी। सरकार से संबंध नहीं रखने का निर्णय लिया
है। इस कारण आज से टीम अन्ना नाम से चला हुआ कार्य समाप्त हो गया है और अब
टीम अन्ना समिति भी समाप्त हुई है।
भवदीय,
कि. बा. उपनाम अण्णा हज़ारे
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