'जनगाथा', 'कथायात्रा' एवं 'लघुकथा-वार्ता' के माध्यम से लघुकथा-साहित्य आप तक पहुँचाने का प्रयास है। 'अपना दौर' कथा-साहित्य से इतर चिन्तन व अनुभवों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास है। 'हिन्दी लेखक' साहित्य एवं कलाओं में रचनात्मक योगदान देनेवाले हस्ताक्षरों का सचित्र परिचय।
email:2611ableram@gmail.com मोबाइल नं॰ 08826499115
7 टिप्पणियां:
Mahesh Darpan to me
5:05 PM (5 minutes ago)
बहुत अच्छी लगी यह कविता गुरु.
भाई कविता का शीर्षक जितना प्रभावकारी है, उतना कविता ने प्रभाव नहीं छोड़ा…
Bhartendu Mishra to me
8:34 PM (2 hours ago)
बलराम जी आपकी कविता के साथ गुस्ताखी की है,जरा देख लीजिए।
तानाशाह
तलवार ही नहीं रखता
पालता है
कुत्ते भी
विरोधियों का दमन
और
उनका शिकार
वह
तलवार से नहीं करता
कुत्तों से कराता है
तलवार तो
धमकाने के लिए
होती है।
♥
कमाल की कविता है … बधाई स्वीकार करें ।
आपको नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बलराम जी, सच कहा आपने।
कविता में गहराई है।
कविता में गहराई और सच्चाई दोनों एक साथ।
कमाल है।
सत्ता के खिलाड़ियों पर अच्छा -खासा व्यंग और अक अच्छी अतुकांत कविता।
एक टिप्पणी भेजें