शनिवार, 10 सितंबर 2011

तानाशाह, तलवार और कुत्ते/बलराम अग्रवाल

                                                                                                      चित्र:आदित्य अग्रवाल
तानाशाह
सिर्फ तलवार नहीं रखता
पालता है
कुत्ते भी

विरोधियों का दमन
और
उनका शिकार
कभी भी
तलवार से नहीं करता वह
कुत्तों से करता है
तलवार तो होती है
डराने-धमकाने भर के लिए।
***

7 टिप्‍पणियां:

बलराम अग्रवाल ने कहा…

Mahesh Darpan to me
5:05 PM (5 minutes ago)

बहुत अच्छी लगी यह कविता गुरु.

सुभाष नीरव ने कहा…

भाई कविता का शीर्षक जितना प्रभावकारी है, उतना कविता ने प्रभाव नहीं छोड़ा…

बलराम अग्रवाल ने कहा…

Bhartendu Mishra to me
8:34 PM (2 hours ago)

बलराम जी आपकी कविता के साथ गुस्ताखी की है,जरा देख लीजिए।


तानाशाह
तलवार ही नहीं रखता
पालता है
कुत्ते भी
विरोधियों का दमन
और
उनका शिकार
वह
तलवार से नहीं करता
कुत्तों से कराता है
तलवार तो
धमकाने के लिए
होती है।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…




कमाल की कविता है … बधाई स्वीकार करें ।

आपको नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार

dinesh aggarwal ने कहा…

बलराम जी, सच कहा आपने।
कविता में गहराई है।

dinesh aggarwal ने कहा…

कविता में गहराई और सच्चाई दोनों एक साथ।
कमाल है।

सुधाकल्प ने कहा…

सत्ता के खिलाड़ियों पर अच्छा -खासा व्यंग और अक अच्छी अतुकांत कविता।